Bakhani is a Collection of Hindi Poems.- https://www.bakhani.com bakhani is my thinking. it is belonging to the "Hindi Literature". bakhani is to describe the world, and word in my own opinion. any one who is interested in poems, assays, stories, and other stream of literature may refer to my blog "bakhani". After all BAKHANI is collection of Poems, Dreams, Essays, and thoughts.
Sunday, September 14, 2014
Tuesday, June 24, 2014
#11-कमल खिल गया
पेड़ गिरे दीवार गिरे,
हुए कई एक्सीडेंट,
हिन्दुस्तान की चुनावी आंधी में,
हिल गए कई देशों के प्रेसीडेंट।
इस बार की चुनावी लहर देखो,
कुछ ऐसी आई,
पुरे देश में सुनामी फैली,
और एक बड़ा परिवर्तन लाई।
हांथी उड़ गया छूट गया,
हाथ से साथ,
साइकिल भी नहीं चली दूर तक,
देखते रह गए आप।
इस बार की चुनावी आंधी देखो,
की पूरा देश हिल गया,
देखो चुनावी दलदल में इस बार,
कमल खिल गया।
हुए कई एक्सीडेंट,
हिन्दुस्तान की चुनावी आंधी में,
हिल गए कई देशों के प्रेसीडेंट।
इस बार की चुनावी लहर देखो,
कुछ ऐसी आई,
पुरे देश में सुनामी फैली,
और एक बड़ा परिवर्तन लाई।
हांथी उड़ गया छूट गया,
हाथ से साथ,
साइकिल भी नहीं चली दूर तक,
देखते रह गए आप।
इस बार की चुनावी आंधी देखो,
की पूरा देश हिल गया,
देखो चुनावी दलदल में इस बार,
कमल खिल गया।
Tuesday, March 11, 2014
#10--अरमान
हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे,
रह गए इतने पीछे हम वक़्त,
बेवक़्त कदम मिलाने को भागे तो थे।
बिछड़ जाने के डर नें जकड रखा था,
डर से निकलनें को यूँ क्या करता अकेला,
जीत दिल के डर को भांप कर,
समन्दर के उथले किनारों को झांके तो थे।
समन्दर की लहरों में ताकत वो थी,
जीतनें को उस डर से भीगे तो थे।
राहों में यूँ बढ़ कर पीछे रह गए,
दिल में अरमान संग चलनें के थे,
कोशते हैं खुद को हम पीछे,
तुम बस थोडा आगे तो थे।
हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आनें के अरमान जागे तो थे।
Saturday, December 28, 2013
Tuesday, December 17, 2013
#8--मन अशांत पक्षी का कलरव।
मन अशांत पक्षी का कलरव।
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मन अशांत पक्षी का कलरव। |
मन अशांत पक्षी का कलरव।
पतझड़ फैला फूला शेमल,
पतझड़ फैला फूला शेमल,
हलचल फैली फुदक गिलहरी,
कोयल कूके गीत सुहाना,
कोयल कूके गीत सुहाना,
देख अचंभित प्रकृति का रव ,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
फूल सुशोभित भांति वृक्ष में,
मृदु सुगंध फैली चौतरफा,
खुले तले इस नील गगन के,
भ्रमर भटक पर पाए न रव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
जीत हार दिल की सब बातें,
चंचल मन बस भटके यूँ ही,
कभी भटक कर आसमान पर,
कभी स्थिर जैसे कोई शव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
विचलित मन बस खोज में भटके,
भटके खोजे शांति - संतुष्टि,
भटके तांडव शंकर खेलें,
मटके-अटके जैसे भैरव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
Thursday, December 5, 2013
#7--रील और रियल
रील और रियल
क्यों भागता है इस कदर,
क्यों है तेरे आगे रील,
रियल को छोड़ कर,
कर दे तू सब कुछ शील।
माना रील का ज़माना है,
पर रील में पड़ना मतलब गवाना है,
इतना कुछ गवां कर,
और क्या गँवाओगे,
सिर्फ गँवाते रहे तो,
ज़िन्दगी में क्या पाओगे?
रियल को समझो तो,
है यह बृह्मा की खींची लकीर,
फिर क्यों भागता है इस कदर,
क्यों है तेरे आगे रील?
Tuesday, November 19, 2013
#6--विज्ञान - एक अभिशाप
foKku& ,d vfHk'kki
इस दुनिया में रहनें वालों ने,
मौत की सेज सजाई,
दिन - प्रतिदिन यह सेज हाँ सुन लो,
लेती है अंगड़ाई।
पल - पल हर छण प्रति मानव,
करे मौत से लड़ाई,
इस दुनिया में रहनें वालों नें,
मौत की सेज सजाई।
एक तरफ इस सेज में सुनलो,
मानव करे आराम,
पर एक पल आता है ऐसा,
सब हो जाए हराम,
सभी जानते हैं इसे,
यह नहीं है गुमनाम,
विज्ञान नाम है इसका,
मानव दिमाग है लाई ,
इस दुनिया में रहनें वालों नें,
मौत की सेज सजाई।
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Bakhani Hindi Poems, kavita- khayali pulao
The video for the hindi poem in my website https://bakhani.com https://bakhani.com/khayali-pulao/ Wordings are as follows खयाली पुलाव ...

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foKku& ,d vfHk'kki इस दुनिया में रहनें वालों ने, मौत की सेज सजाई, दिन - प्...
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मा बोले बेटे से :- उठ बेटा दुनिया देख, दुनिया देख रही तुझको, मत जा ज्यादा दूर मा से, ममता कह रही तुझको । बात-बात मे गुस्सा ...
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