मन अशांत पक्षी का कलरव।
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मन अशांत पक्षी का कलरव। |
मन अशांत पक्षी का कलरव।
पतझड़ फैला फूला शेमल,
पतझड़ फैला फूला शेमल,
हलचल फैली फुदक गिलहरी,
कोयल कूके गीत सुहाना,
कोयल कूके गीत सुहाना,
देख अचंभित प्रकृति का रव ,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
फूल सुशोभित भांति वृक्ष में,
मृदु सुगंध फैली चौतरफा,
खुले तले इस नील गगन के,
भ्रमर भटक पर पाए न रव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
जीत हार दिल की सब बातें,
चंचल मन बस भटके यूँ ही,
कभी भटक कर आसमान पर,
कभी स्थिर जैसे कोई शव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
विचलित मन बस खोज में भटके,
भटके खोजे शांति - संतुष्टि,
भटके तांडव शंकर खेलें,
मटके-अटके जैसे भैरव,
मन अशांत पक्षी का कलरव।
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