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पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
चल दिए मोहब्बत का इजहार करनें,
कम्बख्त इश्क बरकरार रखनें को,
चल दिए पुष्प बेकार करनें।
क्या कभी तूनें कहीं पे,
बेरहमी से प्यार पाया है,
पुष्प पर बेरहमी दिखा कर,
क्यों प्यार किसी से जताया है?
जो पुष्प सी नाजुक प्रकृति पर,
यूँ बेरहमी दिखायेगा,
सोंच कैसे लिया तुमनें,
तुमसे दरिया- दिली दिखायेगा।
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