मा बोले बेटे से :-उठ बेटा दुनिया देख, दुनिया देख रही तुझको,
मत जा ज्यादा दूर मा से, ममता कह रही तुझको ।
बात-बात मे गुस्सा करके, बेटा युं तेवर दिखलाये,
ममता से यू ओत-प्रोत मां, ममता के जेवर पहनाये ।
चंद पंक्ती की तालीम पा कर, बेटे माओ को ठुकाराये ।
मा तो वह ही जो सबसे पहले, उंगली थाम चलना सिखलाये ।
प्रथम पाठशाला की शिक्षा, बेटे यू ही भूल जाये,
पर मा है वह एक जो, कदम-कदम पर थमना सिखालये ।
याद करो बचपन ऐ बेटो, मा के आन्चल मे छुप जाते,
करी शरारत या फिर गलती, तोतली बानी मा को बतलाते ।
ममता की आन्चल से ढक कर, मा यू ही दुनिया से लड जाती,
दुनिय मे काले साये से बचने को, जन्म से काला टीका लगाति ।
आज के बेटे दुनिय की चका- चौन्ध मे, मा से यू हि लड जाते,
फिर थोडी सी ठोकर लगने से, यू ठोकर खा कर गिर जाते ।
तब भी मा बेटे से यह ही कहती है :-
उठ बेटा दुनिय देख, दुनिया देख रही तुझको,
मत जा ज्यादा दूर मा से, ममता कह रही तुझको ।
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