Tuesday, May 12, 2015

Earth Quake

Hello friends,

once again welcome to the world of StylerJeeT. Now you may find my poems on my personal website and collection of hindi poem as BAKHANI also you may find same on bakhani.rockstyler.in. My last poem -

भूकम्प: An EarthQuake

is based on Earthquake on Nepal and India.
 which is described in HINDI as well as English.
the description of my poem in english is as follows:

all the homes were destroyed,
many person’s home just destroyed,
THE WORLD was shaked, the earth and the sky was shaked,
an strange turn came to earth,
with fear people think either inside or outside,
all the homes were destroyed

Saturday, January 10, 2015

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all the poems and further more will be available to my own website www.rockstyler.in.

Monday, November 17, 2014

#15 तनहा अकेला

तनहा अकेला 

bakhani_rockstyler
अकेला जीत 


मैं तो तनहा अकेला यहाँ और वहाँ,
चलता हुआ यूँ ही सफर,
जानें कहाँ पीछे छूटी डगर।
तनहा अकेला मैं यूँ ही चला,
कातिल जमाने का रंग मनचला,
बचना भी चाहूँ तो मैं बच न पाऊँ ,
तुम ही सुझाओ की कैसे भला,
रास्ते में छूटे कितने डगर,
चलता हुआ यूँ ही सफर,
जाने कहाँ पीछे छूटी डगर। 


Monday, October 13, 2014

#14 क्या मुझे हक़ नहीं?



ज़िन्दगी के पहलू क्यूँ इतने उलझे से लगते है?
क्या चेताती आसमान से गिरती वो आग कश्मीर में,
क्यों आखिर किसी हुद - हुद  का डर यूँ सता रहा है,
क्या मुझे चैन से सांस लेने का हक़ नहीं?

समेटें हैं मैंने विविध रंग अपने आगोश में,
विविधता में एकता की एक मिशाल हूँ विश्व में,
क्या मुझे चैन से जीने का हक़ नहीं?

मुझे बाहर से जितना डर  है वह काम है,
भीतर ही भीतर खा रहे  दीमक की तरह मुझे,
नोंच रहे हैं गिद्धों की तरह जिश्म को मेरे,
क्या मुझे स्वातंत्र्य का हक़ नहीं?

कभी राजनीती तो कभी धर्म के नाम,
यूँ ही कर रहे वस्त्रहरण खुलेआम,
अंग प्रदर्शन की दौड़ में मुझे भी कर दिया है सामिल इन्होंने ,
क्या मुझे स्वच्छंद रहने का हक़ नहीं?

कहाँ सो गए ऐ बेटो मैं चुप हूँ पर रो रही हूँ,
दिखावे की इस दुनिया नें ताना  है तमंचा मेरे सीने में,
कहते हैं मत रो लुटाती रह आबरू खुद की,
क्या मुझे रोने का हक़ नहीं?

 आखिर कब मेरे ये बेटे उठेंगे,
कब मेरी ललकार सुनेंगे ,
न जाने वो कब कहेंगे-
"अब यूँ ही ललकार देश के इन कर्णों में गूंज रही,
भारत माता हम बेटों में आन-बान सब ढूंढ़ रही। "

Sunday, September 14, 2014

#13-हिंदी में भी जीवन दिखता है

वर्तमान जो मैं अगर देखूँ ,
तो हिंदी में भी जीवन दिखता है,
भविष्य को सोचता हुँ  जानो,
पश्चिम का आगम दिखता है,
यूँ दिखती है हिंदी गर्त में आगे,
बहन भी इससे ऊँची दिखती,
राजनीतिक स्तर  अब तय कर रहा,
देख हिंदी सुबकती-सुसकती,
झांक कर देखो अपना भूत ऐ दोस्तों,
भाषा विकास क्रम दिखता है,
जाने किस दिशा में यूँ विकास क्रम चल रहा,
निश्चित उज्जवल भविष्य में अंधकार दिखता है,
वर्तमान जो मैं अगर देखूँ ,
तो हिंदी में भी जीवन दिखता है। 


Tuesday, June 24, 2014

#11-कमल खिल गया

पेड़ गिरे दीवार गिरे,
                                 हुए कई एक्सीडेंट,
हिन्दुस्तान की चुनावी आंधी में,
                                 हिल गए कई देशों के प्रेसीडेंट। 
इस बार की चुनावी लहर देखो,
                                 कुछ ऐसी आई,
पुरे देश में सुनामी फैली,
                                और एक बड़ा परिवर्तन लाई। 
हांथी उड़ गया छूट गया,
                                हाथ से साथ,
साइकिल भी नहीं चली दूर तक,
                                देखते रह गए आप। 
इस बार की चुनावी आंधी देखो,
                                की पूरा देश हिल गया,
देखो चुनावी दलदल में इस बार,
                                कमल खिल गया। 

Tuesday, March 11, 2014

#10--अरमान

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे,
रह गए इतने पीछे हम वक़्त,
बेवक़्त  कदम मिलाने को भागे तो थे। 

बिछड़ जाने के डर नें जकड रखा था,
डर से निकलनें को यूँ क्या करता अकेला,
जीत दिल के डर को भांप कर,
समन्दर के उथले किनारों को झांके तो थे।

समन्दर की लहरों में ताकत वो थी,
जीतनें को उस डर से भीगे तो थे। 

राहों में यूँ बढ़ कर पीछे रह गए,
दिल में अरमान संग चलनें के थे,
कोशते हैं खुद को हम पीछे,
तुम बस थोडा आगे तो थे। 

हम तो तनहा दूर ही थे तुमसे,
बस दिल में पास आनें के अरमान जागे तो थे। 

Bakhani Hindi Poems, kavita- khayali pulao

The video for the hindi poem in my website https://bakhani.com https://bakhani.com/khayali-pulao/ Wordings are as follows खयाली पुलाव ...