Monday, November 17, 2014

#15 तनहा अकेला

तनहा अकेला 

bakhani_rockstyler
अकेला जीत 


मैं तो तनहा अकेला यहाँ और वहाँ,
चलता हुआ यूँ ही सफर,
जानें कहाँ पीछे छूटी डगर।
तनहा अकेला मैं यूँ ही चला,
कातिल जमाने का रंग मनचला,
बचना भी चाहूँ तो मैं बच न पाऊँ ,
तुम ही सुझाओ की कैसे भला,
रास्ते में छूटे कितने डगर,
चलता हुआ यूँ ही सफर,
जाने कहाँ पीछे छूटी डगर। 


Bakhani Hindi Poems, kavita- khayali pulao

The video for the hindi poem in my website https://bakhani.com https://bakhani.com/khayali-pulao/ Wordings are as follows खयाली पुलाव ...